श्रापित गुड़िया का आतंक

 श्रापित गुड़िया का आतंक

हेलो दोस्तों श्रापित गुड़िया नाम की एक कहानी लिखने जा रहा हूं। कहानी शुरू होती है एक परिवार से, जिसमें एक छोटी सी, प्यारी सी, नन्ही सी 10 साल की बच्ची होती है और उसके मां-बाप होते हैं। वे लोग एक छोटे से घर में रह रहे होते हैं। और उनके साथ उनके सामने वाले मकान में भी पड़ोसी रह रहे होते हैं। जो बहुत बुजुर्ग हैं और वह अकेले रहते हैं। उस घर के पास में एक छोटा सा कुआं बना हुआ है और वह कुआं बहुत दिनों से बंद पड़ा है उस कुएं के पास कोई जाता नहीं है क्योंकि उस कुएं में पानी नहीं है और कूड़ा और मिट्टी के ढेरों से ढका रहता है। और दूसरी बात यह भी है कि उस कुएं में जाने से बहुत से लोग डरते रहते हैं। गर्मियों के मौसम शुरू हो जाते हैं।



उस परिवार में छोटी सी बच्ची का नाम मीरा है और उसके पापा का नाम दिनेश है और माता का नाम संगीता है। वे सभी लोग कुछ दिन तक तो उस घर में एकदम शांति से रह रहे होते हैं लेकिन एक हफ्ते बाद उस घर में अचानक से कुछ अजीब सी घटनाएं होने लग जाती हैं। लेकिन वह परिवार इन सब घटनाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। वह लोग सोचते हैं कि शायद हमारे मन का कोई भ्रम होगा इसीलिए वे सब इस घटनाओं को अनदेखा कर देते हैं। 


लेकिन एक दिन मीरा खेलते खेलते उस कुएं के पास चली जाती है। उस कुएं के पास एक छोटी सी गुड़िया पड़ी होती है। वह उस गुड़िया को उठाकर अपने घर पर ले आती है। मीरा उस गुड़िया के साथ खेलने लगती है जब मीरा अकेले होती है तो वह उस गुड़िया से बातें करती है। मीरा उसकी हर बातों को मानती है। वह ऐसे बातें करती है जैसे कोई उसके सामने बैठा हो। 


जैसे ही वह गुड़िया उस घर में आती है। एक-एक करके अनजानी सी घटनाएं शुरू होने लगती हैं। एक दिन मीरा के पापा रास्ते पर चलते हुए, एक सुनसान सड़क पर पहुंच जाते हैं। अचानक से उनके सामने से एक काली रंग की बिल्ली रास्ता काट जाती है। मीरा के पापा एकदम से डर जाते हैं। कुछ देर वहां पर रुकने के बाद वे वापस अपने घर को आ जाते हैं। लेकिन उनको कुछ समझ नहीं आता है कि वह बिल्ली अचानक उस सुनसान सड़क पर आ कहां से गई। 


उस घर में एक तहखाना भी होता है जो उस परिवार में से किसी को भी पता नहीं होता है। एक दिन मीरा की मम्मी और पापा घर के बाहर बने हुए बगीचे में बैठे होते हैं तभी मीरा अंदर उस गुड़िया के साथ खेल रही होती है। तभी वह गुड़िया एकदम से जाग जाती है, उसकी आंखें खुल जाती हैं और गुड़िया, मीरा का हाथ पकड़ कर उसे तहखाने वाले कमरे में ले जाती है। पर यह बात मीरा के मम्मी, पापा को बिल्कुल भी पता नहीं होती है कि उस घर में तहखाना भी है।


वे दोनों लोग जब अंदर कमरे में जाते हैं तो उन्हें वहां अपनी मीरा नहीं दिखाई पड़ती है। वे दोनों डर जाते हैं इधर-उधर ढूंढते हैं लेकिन मीरा कहीं मिलती नहीं है। अचानक से संगीता की नजर कमरे की दीवार पर पड़ती है उस दीवार में एक दरवाजा खुलने वाला एक हैंडल दिखाई पड़ता है। संगीता जैसे ही उस हैंडल को घूमाती है, वैसे ही वह गुप्त दरवाजा खुल जाता है। वह दोनों उस तहखाने में पहली बार अंदर जा रहे होते हैं। जब वह तहखाने के कमरे में पहुंचते हैं तो वह देखते हैं कि वहां पर उनकी मीरा गुड़िया के साथ खेल रही होती है। वह दोनों उस गुड़िया को पहली बार देखते हैं। मीरा से पूछते हैं कि तुम यहां पर कैसे आ गई। मीरा इस बारे में कुछ भी बता नहीं पाती है क्योंकि गुड़िया वाली आत्मा उसको सब कुछ भुला देती है। यह सब कुछ नजारा सामने वाले मकान में रहने वाले बुजुर्ग अंकल जी सब कुछ देख रहे होते हैं लेकिन इस बात पर वह कोई चर्चा नहीं करते हैं। 

रात हो जाती है और सभी लोग सोने चले जाते हैं। तकरीबन रात के 12:00 बजे संगीता को प्यास लगती है। जब वह उठ कर फ्रिज वाले कमरे में जाती है तब वह देखती है कि दीवार की तरफ मुंह करके कोई व्यक्ति बैठा हुआ है। संगीता यह सब देखकर घबरा जाती है और दबे पांव उसकी तरफ आगे बढ़ती है। एक तरफ वह डर रही होती है दूसरी तरफ वह आगे बढ़ रही होती है। वह जैसे ही उसके कंधे पर हांथ रखती है तो वह आदमी एकदम से उसको पलट कर देता है और जब संगीता देखती है कि वह कोई और नहीं मेरा पति दिनेश है तो संगीता के  मुंह से  जोर की चीख निकल जाती है और जब वह उसे गौर से देखती है तो उसे पता चलता है कि दिनेश उस  काली बिल्ली को खा रहा होता है जिसने कुछ दिनों पहले दिनेश का सुनसान रास्ते में रास्ता काटा था।


संगीता बुरी तरह से डर जाती है और वह सब कुछ छोड़ कर के सामने वाले बुजुर्ग अंकल के पास मदद के लिए भागती हुई जाती है। बुजुर्ग अंकल के घर का दरवाजा खटखटाती है। अंकल जी अपने घर से बाहर निकलते हैं और संगीता को अपने कमरे में ले जाते हुए उसे कुर्सी पर बिठाते हैं और पानी का भरा हुआ गिलास उसे देते हैं और उससे पूछते हैं कि बेटा क्या हुआ? तुम इतनी घबराई हुई क्यों? संगीता उनको अपना पूरा वृत्तांत सुनाती है और बताती है कि आज मेरा पति दिनेश काली बिल्ली को खा रहा था और कुछ अलग सा दिख रहा था।


वह अंकल जी सब कुछ जानते थे कि उनके घर में क्या हो रहा है। वह बताते हैं कि बेटी तुम्हारे घर में किसी भूत का साया मंडरा रहा है। जिसकी वजह से तुम्हारे घर पर यह सब हादसे हो रहे हैं मैं जानता हूं, यह सब क्यों हो रहा है?


संगीता उनसे सारी कहानी पूछती है तो अंकल जी बताते हैं कि 10 साल पहले इस घर में एक परिवार रहता था और उस परिवार में एक छोटी सी बच्ची थी। यह बच्ची इस सुनसान रास्ते पर  खेलते खेलते जा रही थी तभी अचानक इस रास्ते से एक गाड़ी निकलती है और उस बच्ची को उड़ा देती है। उनकी बच्ची की मौत उसी समय हो जाती है मां और बाप दोनों इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और अपनी बच्ची की लाश को इस कुएं के पास गाढ़ के चले जाते हैं। तभी से उस बच्ची की आत्मा इस घर में भटक रही है और वह आत्मा इस गुड़िया में प्रवेश कर गई है क्योंकि वह बच्ची, इस गुड़िया के साथ खेला करती थी। इसी वजह से आज उसकी आत्मा इस गुड़िया के अंदर आ गई है और अब वह आत्मा तुम्हारी बेटी के साथ बात करती है, खेलती है। संगीता अपने पति की हालत को देखकर के उस बुजुर्ग अंकल से पूछती है कि इसका उपाय तो होगा कोई बुजुर्ग अंकल बताते हैं कि यहां से 10 किलोमीटर दूर एक बस्ती है वहां पर एक तांत्रिक रहते हैं। यदि हम उनसे बात करें तो इसका हल जरूर निकल सकता है। लेकिन वो तांत्रिक दिन में 12:00 बजे ही मिलते हैं। अगर तुमने, बेटी थोड़ी सी भी देर कर दी तो वह आत्मा तुम्हारी बेटी के ऊपर हावी हो जाएगी। मेरी बात मानो तो आज यहीं पर रुक जाओ कल सुबह होते ही हम और तुम उस तांत्रिक के पास चलेंगे। संगीता अंकल की बात मान लेती है और रात को वह अपनी बेटी को लेकर के उस अंकल के घर पर ही रुक जाती है। क्योंकि वह अपने घर में नहीं जा सकती थी क्योंकि वह आत्मा उसके पति के ऊपर हावी हो चुकी थी। उसने अपने कमरे को चारों तरफ से बंद कर दिया और अंकल के कमरे में जाकर रात गुजारने के लिए रुक गई। लेकिन उसे क्या पता था विपत्ति अभी तली नहीं है। जब आत्मा को यह पता चलता है कि वह अंकल इसका साथ दे रहा है तो आत्मा चुपके से अंकल के कमरे में आती है और उस बुजुर्ग अंकल को मार कर चली जाती है।


जब सुबह संगीता की आंखें खुलती हैं तो वह देखती है कि बुजुर्ग अंकल को उस आत्मा ने मार दिया और उसकी लाश को पंखे पर लटका दिया है। संगीता यह सब देख कर के बहुत घबरा जाती है और डर जाती वह आनन-फानन में जल्दी से घर से निकलती है और उस तांत्रिक के पास 12:00 बजे से पहले पहुंचने की कोशिश करती है।


किसी तरह से उस तांत्रिक के पास पहुंच जाती है और उस तांत्रिक को बुलाकर अपने घर ले आती है। जैसे ही वह अपने कमरे का दरवाजा खोलती है। उसका पति संगीता को देख कर के कहने लगता है कि संगीता मुझे बचा लो तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगा। तुम कहां चली गई थी तभी तांत्रिक पीछे से आवाज देता है कि उसके पास मत जाना क्योंकि इसके अंदर आत्मा है। तभी संगीता का पति बोलता है इस तांत्रिक की बात मत सुनो यह झूठ बोल रहा है और मेरे अंदर कोई आत्मा नहीं है तुम मेरे पास आओ।


तभी तांत्रिक अपने झोले में से एक भभूति निकालता है और उस दिनेश के ऊपर चढ़ा देता है। जैसे ही दिनेश उस भभूति के संपर्क में आता है। वह आत्मा एकदम से दिनेश को उठाकर दूसरी तरफ फेंक देती है। तभी संगीता को उस बूढ़े अंकल की कही हुई बात याद आ जाती है। उस बूढ़े अंकल ने कहा था कि, उस छोटी बच्ची की डेड बॉडी कुएं के पास गढ़ी हुई है तो वह तांत्रिक से कहती है कि इस कुएं के पास एक छोटी बच्ची की डेड बॉडी गढ़ी है। आपको उस डेड बॉडी को जलाना होगा तभी यह प्रेतात्मा यहां से जाएगी।

वह तांत्रिक जैसे ही उस डेड बॉडी के पास जाता है तभी अचानक से दिनेश पर हावी होने वाली आत्मा उस तांत्रिक के सामने आ जाती है और तांत्रिक का गला दबा लेती है। तांत्रिक अपने मन ही मन में अपने मंत्रों को फूंकता है और उसके हाथ में भभूति होती है उस भभूती को दिनेश के माथे पर रगड़ देता है। भभूति लगाते ही दिनेश बेहोश हो जाता है। संगीता उस कुएं के पास तांत्रिक को लेकर जाती है और वहां पर खुदाई का काम शुरू कर देती है। उसके अंदर से कंकाल निकलता है जो एक छोटी बच्ची का होता है। संगीता अंदर जाती है और उस छोटी सी गुड़िया को भी उठा लाती है। संगीता उस श्रापित गुड़िया को उस कंकाल के ऊपर डालती है और जल्दी से तांत्रिक से कहती है इसमें आग लगा दो। तांत्रिक अपनी मंत्रों से किसी तरह से उस आत्मा से अपने आप को बचाता हुआ जल्दी से उस कंकाल में आग लगा देता है जैसे ही कंकाल को आग लगती है दिनेश के अंदर से वह आत्मा एकदम से निकलती है और जोर से आवाज होती है। 


तो इस तरह से संगीता ने अपने पूरे परिवार को उस बुरी आत्मा से बचा लिया और अपनी बेटी को भी उस आत्मा से बचा लेती है।


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